Who will be the driving force behind the victory in the electoral battle of Kurukshetra?

कुरूक्षेत्र के चुनावी महासमर में कौन बनेगा जीत की गाडी का गडवाला, लोकसभा सीट पर चुनावी चक्रव्यूह में कौन किस पर पड़ेगा भारी

Who will be the driving force behind the victory in the electoral battle of Kurukshetra?

Who will be the driving force behind the victory in the electoral battle of Kurukshetra?

 

Who will be the driving force behind the victory in the electoral battle of Kurukshetra?- चंड़ीगढ़ (धर्मवीर सिंह ) धर्म की कलम , मैं वक्त हंू ,बात वक्त की में आज बात होने जा रही है सबसे हाट बनती जा रही कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट की। चुनाव 18वीं लोकसभा के लिए।

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनावी बिगुल बजते माहौल बनना शुरू हो गया है। हरियाणा की सभी सीटों पर सभी दलों द्घारा प्रत्याशी उतारने का सिलसिल अभी भी जारी है। बीजेपी की बात करें तो सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए है। कुरुक्षेत्र लोकसभा से कांग्रेस से दो बार सांसद रहे चुके नवीन जिंदल को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। रविवार 24 मार्च को नवीन जिंदल ने बीजेपी ज्वाईन की और उसी दिन बीजेपी ने शेष बची चारों लोकसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए। हिसार लोकसभा सीट से जननेता ताऊ देवी लाल के बेटे और सरकार में निर्दलीय कोटे से मंत्री रहे रणजीत ङ्क्षसह के बीजेपी में ज्वाईन करते है टिकट थमा दिया। रोहतक से डा0 अरविंद शर्मा, सोनीपत सीट से मोहन लाल बड़ोली को जबकि कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट के लिए नवीन जिंदल चुनावी महासमर में आन डटे हैं। कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट पर चुनावी जीत की गाडी का गडवाला कौन बनेगा। इसका पता तो आगामी चार जून चलेगा।

इस लेख में बात कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट की हो रही हैं तो बताते चलें कि इस सीट पर आप और कांग्रेस ने समझौते के तहत आप पार्टी के उम्मीदवार सुशील गुप्ता को मैदान में उतार रखा है। इनेलो से अभय ङ्क्षसह चौटाला मैदान में हैं जबकि बीजेपी ने कांग्रेस से दो बार के सांसद रहे नवीन जिंदल को पार्टी का टिकट देकर सीट को हाट बना दिया है। जिंदल की भी हल्के में अच्छी पैंठ है। लेकिन सामने वाले उम्मीदवारों को भी कमजोर नहीं आंका जा सकता। सभी दल अपने अपने पक्ष में चुनावी हवा बनाने में जुटे हैं। कई दिनों से कयास लगाए जा रहे थे कि शायद नवीन जिंदल ही बीजेपी से चुनाव लड़े। परिस्थितियां कुछ भी रही हो अब जिंदल कुरूक्षेत्र लोक सभा सीट पर फिर से अपना भाग्य आजमाएंगे। जो कार्यकर्ता कांग्रेस के समय जिंदल के साथ रहे। जिंदल के बीजेपी में आने से असमंजस में पड़ते नजर आ रहे है। कई कार्यकताओं का कहना है कि वे दुविधा में पड़ गए है। क्या करें और क्या ना करें। खैर लोकतंत्र में ऐसा होना कोई नई बात नही है।

जिंदल के बीजेपी में आते ही पार्टी ने तुरंत टिकट थमा दिया। यह सब अचानक नहीं हुआ। कोई भी पार्टी कच्ची गोली नहीं खेलती। इसके पीछे बीजेपी का सर्वे जरूर हुआ होगा। लगता है सर्वे के आधार पर ही जिंदल को टिकट दिया गया। चर्चा तो यह भी है कि हरियाणा का सीएम बदलना भी सर्वे का ही परिणाम है। लोकसभा चुनाव में एक दुसरे को कमजोर समझना सभी के लिए भारी और बड़ी भुल हो साबित हो सकती है। ताऊ देवीलाल के परिवार से आने वाले इनैलों उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला तथा कांग्रेस और आप पाटी्र के सांझे उम्मीदवार सुशील गुप्ता क्या समीकरण बनाते है यह अभी उनकी प्लानिंग में छिपा है लेकिन उनको कमजोर कतई नही आंका जा सकता। क्षेत्र के लोगों को कहना है कि इस बार कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट के लिए जबरदस्त टक्कर देखने को मिलेगी। सभी ने अपने पक्ष में गोटियां बैठना शुरू कर दिया है।

नौ विधानसभा क्षेत्र आते है कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट के अंतर्गत--करीब दस साल तक राजनीति से दूर रहने के बाद फिर चुनावी मैदान में जिंदल।

कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट के अंर्तगत नौ विधानसभा क्षेत्र आते है,जिसमें कलायत,पुंडरी,गुहला, कैथल, थानेसर,शाहबाद,लाड़वा,पिहोवा तथा रादौर विधानसभा क्षेत्र शामिल है। कुरूक्षेत्र और  कैथल जिला में चार-चार जबकि एक विधानसभा क्षेत्र यमुनानगर जिला में पड़ता है। अब बात नवीन जिंदल के बात करें तो वर्ष 2014 में बीजेपी की घेराबंदी से चुनाव हार गए थे और आश्चर्य की बात है कि उसी जिंदल को बीजेपी ने अपना टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार दिया। लगता है कथित आरोप धुल गए होंगे या फिर होंगे ही नही। पिछले दस साल से कुरुक्षेत्र सीट से दो सांसद रहे, एक राजकुमार सैनी और दुसरे नायब सिंह सैनी। अब करीब दस साल बाद फिर से नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र में नया सवेरा लाने के लिए मैदान में है। सामने वाले उम्मीदवार भी कमजोर दिखाई नहीं देते। चुनावी संग्राम का ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। वैसे जिंदल परिवार का कुरुक्षेत्र से पुराना लगाव रहा है। लोगों में उनका सामाजिक रसूक भी है। पिता ओमप्रकाश जिंदल भी कुरूक्षेत्र से सांसद रहे है।

कौन किस पर पड़ेगा भारी-- किसकी है तगड़ी उम्मीदवारी-- किसकी क्या है लाचारी और कौन दिखाएगा वोटरों को रिझाने की कलाकारी।

इसी संसदीय सीट पर चर्चा तो यह भी चल रही है कि कही बीजेपी उम्मीदवार के सामने कई उम्मीदवार इक्कठे होकर चुनाव ना लड़ ले यदि ऐसा हुआ तो क्या वे बीजेपी उम्मीदवार को हरा पाएंगे। सभी के अपने अपने मत है। लोगों का कहना है कि वे जिस पार्टी या उम्मीदवार से जुड़े हैं उसको तो वोट दे देंगे लेकिन उसके कहने पर सभी लोग दुसरे उम्मीदवार को वोट दें, ऐसा नही है। फिर वे अपनी मर्जी से अपने दूसरे पसंदीदा उम्मीदवार को ही वोट देंगे। बात में से बात निकलती है तो बात बनती है और कई बार नहीं बनती। यह सब वोटरों की इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है। सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि सब कुछ परिस्थितयों पर निर्भर करेगा कि कौन किस पर भारी पड़ेगा,किसकी उम्मीदवारी तगड़ी रहेगी तथा वोटरों का लाचारी क्या होगी और सीट तो वही निकालकर ले जाएगा जो वोटरों का रिझाने,समझाने और यहां तक की बहकाने में कामयाब होगा।

कितने मतदाता हैं संसदीय क्षेत्र कुरूक्षेत्र में-- कितनी है सौ वर्ष से ज्यादा उम्र के वोटरों की संख्या।

बात कुरूक्षेत्र संसरदीय क्षेत्र की चल रही है। कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र में कुल 1776936 मतदाता है। इनमें 80 वर्ष से ज्यादा आयु वर्ग के 45985 और 100 वर्ष से ज्यादा आयु वर्ग के 1180 मतदाता शामिल है, जबकि दिव्यांग जनों के कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र में 16301 मतदाता है। लोकसभा आम चुनाव का कार्यक्रम भारत निर्वाचन आयोग की तरफ से जारी किया जा चुका है। इस चुनाव कार्यक्रम में 29 अप्रैल को गजट नोटिफिकेशन होगा और नामांकन की प्रक्रिया शुरु हो जाएगी, 6 मई को नामांकन पत्र दाखिल करने का अंतिम दिन होगा, 7 मई को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी, 9 मई तक उम्मीदवार अपना नामांकन पत्र वापिस ले सकते है, इसके उपरांत 25 मई को मतदान होगा तथा 4 जून को मतों की गणना का कार्य किया जाएगा।